गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

कृषिगत विपड़न की समस्या forming problem in India

 कृषिगत उत्पादन 

हमारे यहां, किसान विविध प्रकार के कृषि आधारित कच्चे माल का उत्पादन करतें हैं, जैसे~ दूध, मांस, हरी सब्जी, अनाज इत्यादि। ए सभी कृषिगत उत्पाद है तथा इनके उत्पादन की क्रिया ही कृषिगत उत्पादन है। ये उत्पाद विभिन्न द्वितीयक उद्योग के कच्चे माल भी होते हैं।

कृषिगत विपणन 

कृषिगत उत्पादों का उचित मूल्यों पर विक्रय किया जाना कृषिगत विपणन या कृषि उत्पादों का विपणन कहलाता है।
हालांकि इसकी अपनी समस्याएं हैं।

कृषि उत्पादन के विपड़न की समस्या-आज भी हमारे देश भारत में आधे से अधिक लोगों की आजीविका का मुख्य स्रोत कृषि ही बनी हुई है, जबकि अन्य विकसित देश इस बदलते भौगोलिक परिदृश्य में अपनी अर्थवयवस्था को प्राथमिक क्षेत्र से द्वितीयक और तृतीय क्षेत्र में परिवर्तित कर लिए हैं।

हमारे यहां कि कृषिगत विपड़न की समस्या सान फसल का उत्पादन करता तो है, पर उसका सही मूल्य नहीं पाता। क्योंकि उसके द्वारा उत्पादन कच्चे माल का किया जाता है, जिसे वह लंबे समय तक अपने यहां सुरक्षित  नहीं रख पाता क्योंकि उसके पास 'भंडारण गृह ' नहीं है। जिससे उनको अपना कच्चा माल कम मूल्य पर कुछ बद्धताओ  के साथ  'कृषि उत्पाद समितियों' (ए पी एम सी) या मंडियों को बेचना पड़ता है ।  

केंद्र सरकार का पहल
किसानों की समस्याओं को कम करने हेतु केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण अध्यादेश लाई कि अब ' किसान अपना उत्पाद जिसे चाहे, जहां चाहें बेच सकतें हैं। इसके लिए इनके उत्पाद पर टैक्स नहीं लगाया जाएगा जो कि मंडियों में लगाया जाता था।

इसकी पूरक योजना पहले ही ' किसान रेल ' प्रारंभ की जा चुकी है। जिसमे बाकायदा शीत गृह भंडार (cold storage) ki व्यवस्था की गई है, जिससे किसान अपने माल के खराब होने की चिंता किए बिना देश के सुदूर भाग में सुगमता से उत्पाद का विपदा कर सकें। 
उम्मीद है कि किसानों की समस्याएं थोड़ा कम होंगी।
ये कदम किसान की आय ' दोगुनी ' करने और ' आत्म निर्भर भारत ' योजना के तहत एक और पहल है।

समाचार पत्रों पर आधारित -
लेखक - प्रदीप कुमार



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