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मंगलवार, 5 अक्टूबर 2021
सोमवार, 4 अक्टूबर 2021
खोई हुई दिशाएं - कमलेश्वर pdf download
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ज़िन्दगी और जोंक - अमरकांत कहानी pdf download
ज़िन्दगी और जोंक एक दुनिया: समानांतर संकलन की एक महत्वपूर्ण कहानी है। जिसके लेखक अमरकांत, नई कहानी आंदोलन के ऐसे चुनिंदा हस्ताक्षर हैं जिन्होंने 1960 के दशक में भी सामाजिक यथार्थ को प्रमुखता से अपनी कहानियों का कथ्य बनाया।
इस कहानी में रजुआ नाम के एक व्यक्ति के माध्यम से लेखक ने समाज के ऐसे कमज़ोर नस (उपेक्षित असहाय वर्ग) को छुआ है जिसपर आज भी हमारा समाज खुले मन से विमर्श करने से कतराता है, इनके बेहतरी के उपाय सोचना तो दूर की बात है।
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शनिवार, 2 अक्टूबर 2021
संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा रिजल्ट 2021 में हिंदी मीडियम की सच्चाई
दोस्तों संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) प्रत्येक वर्ष भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय विदेश सेवा (IFS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जैसे अखिल भारतीय सेवा के अलावा अन्य सिविल सेवाओं के अधिकारियों के चयन हेतु प्रतियोगी परीक्षा आयोजित करता है।
चर्चा का विषय
दोस्तों आप यदि सिविल सेवा के परीक्षाओं में तनिक भी रुचि रखते होंगे तो आपको मालूम ही होगा कि इस परीक्षा के रिजल्ट में हिंदी माध्यम (साथ ही अन्य भारतीय भाषाओं) से सफल होने वाले अभ्यर्थियों का प्रतिशत सतत रूप से कम हो रहा है; जहां हिंदी माध्यम से पहले लगभग 40 - 50 फीसदी चयन होता था वहीं यह आज दो से तीन फीसदी पर आकर सिमट गया है, जो कि चिंता का विषय है। तो आइए चर्चा करते हैं कि आखिर ऐसा कुछ यदि वास्तव में है तो इसका तार्किक कारण क्या है।
पहला कारण -
दोस्तों आपने भी इस विषय पर चर्चा करते हुए कई बार कई लोगों को सुना होगा, इनफैक्ट आपने भी चर्चा की ही होगी और अंततः इस निष्कर्ष पर पहुंचे होंगे कि - (1)यूपीएससी हिंदी माध्यम वालों के साथ भेदभाव करती है; (2) हिंदी माध्यम में क्वालिटी कंटेंट उपलब्ध नहीं है; तथा (3) इसमें तो इंजीनियर ही सफल होते हैं आदि आदि।
अगर ऐसा पहले हुआ है दोस्तों तो बड़ी खुशी की बात है कि ये सभी बातें बे सिरपैर की अतार्किक मित्था धारणाएं हैं, क्योंकि यूपीएससी न तो किसी के साथ भेदभाव करती है और न आज के समय में हिंदी माध्यम में क्वालिटी कंटेंट की कमी है; तथा न ही यूपीएससी इंजीनियर को प्रोमोट करती हैं। मैं अपनी बात यूं ही नहीं रख रहा हूं बल्कि मेरे पास अपनी बात रखनें के लिए बेहद ठोंस आधार है - वो है कमीशन द्वारा उपलब्ध कराई गई एनुअल रिपोर्ट जिसे आप upsc.gov.in पर जाकर डाउनलोड कर सकतें हैं (रिपोर्ट में निबंध और GS का पेपर हिंदी माध्यम से लिखनें वालों के आधार पर पता किया जा सकता है कि कितने अभ्यर्थियों नें हिंदी माध्यम को अपना माध्यम चुना)।
रिपोर्ट से निष्कर्ष -
दोस्तों 2010 की एनुअल रिपोर्ट के अनुसार 2009 में mains लिख रहे कुल लगभग 11000 अभ्यर्थियों में से 48031 लोग केवल हिंदी माध्यम से थे, 2010 में mains लिखने वाले 11860 लोगों में से 4222 अकेले हिंदी माध्यम से थे।
लेकिन दोस्तों 2011 में mains लिख रहे 11000 कुल अभ्यर्थियों में से सिर्फ 1700 लोग ही हिन्दी माध्यम से mains लिखे। विचारणीय है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि हिंदी माध्यम की जो संख्या 4800, 4500, 4200 चल रही थी वो अचानक 1700 पर आ गई, जो 2013 में 1450 रही?
दोस्तों ये रहा 2011 में Civil Services Aptitude Test (CSAT) का आगमन, उस समय इस CSAT के अंक को मेरिट लिस्ट में जोड़ा जाता था जो निश्चित रूप से अंग्रेजी माध्यम को विशेष रूप से इंजीनियरों को फायदा पहुंचाता था, जो कि वास्तव में गलत था। इस CSAT को काफी विरोधों के बाद यूपीएससी ने इसे 2013 के बाद से क्वालीफाइंग (33 प्रतिशत मार्क्स पर) बना दिया जिसके मार्क्स अब फाइनल मेरिट लिस्ट में नहीं जोड़े जाते हैं।
CSAT के क्वालीफाइंग होने के बाद भी 2014 में mains लिखनें वाले अभ्यर्थियों की संख्या में वृद्धि न के बराबर रही जो इस प्रकार है, कुल 16000 में 2200 मात्र, 2016 में 15142 लोगों में mains लिखा जिसमें मात्र 1320 लोग हिंदी माध्यम के थे, 2017 में कुल 13052 लोगों नें mains लिखा जिसमें मात्र 1066 लोग ही हिन्दी माध्यम के थे, 2018 में ए संख्या 10241 लोगों में 889 लोग तथा 2019 में 11469 लोगों में मात्र 571 लोग के अनुपात में रही जोकि तुलनात्मक रूप से बहुत खराब प्रदर्शन है।
दोस्तों जब हिंदी माध्यम वाले CSAT के क्वालीफाइंग होने के बाद भी इसे क्वालीफाई नहीं कर पा रहें हैं, तो mains कैसे लिखेंगे और फाइनल मेरिट लिस्ट तो दूर का ढोल समझो।
दूसरा कारण -
ये आंसर राइटिंग कौशल के स्तर की समस्या है। आप किसी भी हिंदी माध्यम के टॉपर और अंग्रेजी माध्यम के टॉपर की तुलना करके देख लीजिए ( हिंदी माध्यम की कॉपी drishtiias पर और इंग्लिश मीडियम की कॉपी आपको visionias के वेबसाइट पर मिल जाएगी) आपको खुद समझ में आ जाएगा कि समस्या कहां है।
मैंने नोटिस किया कि - (1) हिंदी माध्यम में उतना टू द प्वाइंट नहीं लिखते जितना जरूरी है; (2) ये लोग अभी भी पैराग्राफ मेथड में लिख रहें हैं; (3) gs में तथ्यों का बहुत कम प्रयोग; और (4) daigram और फ्लो चार्ट, तथा मानचित्र का दुर्लभ प्रयोग आदि आदि।
गौड़ कारण -
एक अन्य कारण ए भी है कि अंग्रेजी माध्यम के विद्यार्थी अपेक्षाकृत मजबूत एकेडमिक स्तर के होते हैं, साथ ही उनकी स्कूलिंग भी काफी अच्छी हुई रहती है, खैर ए सभी गौड़ कारण हैं आप ये समझो कि ये कारण सिर्फ कारण बतनें के लिए ही हैं वैसे इनका कोई मूल्य नहीं।
(बस आज इतना ही, मस्त होकर आप तैयारी कीजिए उपरोक्त पहली और दूसरी चुनौतियों को गंभीरता से स्वीकार करें, हमारा अगला ब्लॉग इन चुनौतियों को चुनौती देने पर होगा, धन्यवाद) - प्रदीप कुमार
Source - annual report of upsc ( 60 to 70) and Afeias.com
Important links
UPSC - UPSC.gov.in
Afeias - Afeias.com
Some photos
UPSC CSE top 10 quqlifieded candidate 2020
UPSC सिविल सर्विस एक्जाम में हर साल लगभग दस लाख लोग आवेदन करते हैं जिसमें से लगभग पांच से छः लाख उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा में बैठते हैं। इस चरण में लगभग दस हज़ार उम्मीदवार सफल होकर mains की परीक्षा देते हैं; यहां से सफल लगभग दो से तीन हज़ार अभ्यर्थियों को इन्टरव्यू के लिए बुलाया जाता है; अंततः इसके बाद कमीशन द्वारा फाइनल लिस्ट जारी की जाती है जिसमें लगभग हर वर्ष 700 से 1100 लोगों को चयनित किया जाता है।
तो दोस्तो इस वर्ष 2021 में वर्ष 2020 का फाइनल रिजल्ट कमीशन द्वारा घोषित कर दिया गया है जिसमें अखिल भारत में पहला स्थान प्राप्त किए हैं - बिहार के लाल शुभम कुमार।
टॉप 10 के कुल सफल अभ्यर्थी इस प्रकार से हैं -
शुभम कुमार रैंक 1, जागृति अवश्ठी रैंक, अंकिता जैन रैंक 3, यश जलुका रैंक 4, ममता यादव रैंक 5, मीरा के रैंक 6, प्रवीण कुमार रैंक 7, जिवानी कार्तिक नगजीभाई रैंक 8, अपाला मिश्रा रैंक 9, सत्यम गांधी रैंक10 etc.
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शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2021
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